ख़ुद से जम के मारो ठट्ठा
तन्हाई से आज झगड़
रात के संग यूँ मौज लड़ा
दिन का चेहरा कुछ जाए उतर
सन्नाटा इतना छलनी हो
खून गिरे बस तितर बितर
अंधियारे को डाँट पिला
लौ की कर तू पकड़ धकड़
ले थाम कुदाली, ज़ोर चला
डर की खुद जाए आज कब्रतन्हाई से आज झगड़
रात के संग यूँ मौज लड़ा
दिन का चेहरा कुछ जाए उतर
सन्नाटा इतना छलनी हो
खून गिरे बस तितर बितर
अंधियारे को डाँट पिला
लौ की कर तू पकड़ धकड़
ले थाम कुदाली, ज़ोर चला
कोने में पड़ा वह झाड़ू पकड़
झालें ये हटें, कस ले ये कमर
अरे फाड़ गला, एक चीख़ जगा
घर की मकड़ी का डोले जिगर