Wednesday, May 09, 2007

कभी पास रहे, कभी दूर रहे
तुम भी कितने मजबूर रहे

बस तेरे निशाँ का पीछा किया
हम भी दिल के मजदूर रहे

दिन भर तुमको सोचा इतना
रातों को थक के चूर रहे

ख्वाबों में तुमसे बातें कि
दिल में अरमाँ भरपूर रहे

जिससे मिला तेरा चर्चा किया
तुम ही मुझमें मशहूर रहे

बिस्तर पे सिलवट पड़े अरसा हुआ
तुम मुझसे इतने दूर रहे

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